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हरियाणा के जींद में तैनात IPS अधिकारी पर महिला कर्मचारीयों उत्पीड़न यौन शोषण मामले की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से होनी चाहिए: विद्रोही

सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज:

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स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने महिला पुलिस कर्मियों द्वारा जींद में पुलिस अधीक्षक पर लगाये गए यौन शोषणा आरोप की जांच फतेहाबाद के पुलिस अधीक्षक से करवाने के हरियाणा सरकार के फैसले को मामले को लीलापोती करके दबाने का कुप्रयास बताया। विद्रोही ने सवाल किया कि जींद पुलिस अधीक्षक पर महिला पुलिस कर्मचारियों के यौन शोषण के लगाये गए आरोपों की जांच फतेहाबाद पुलिस अधीक्षक को सौंपने का मतलब मामले की लीपापोती करके पूरे मामले को दबाना तो नही है? यदि हरियाणा भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री महिला कर्मियों की अस्मिता की रक्षा के प्रति गंभीर व ईमानदार होते तो इस मामले की जांच एक निष्पक्ष-स्वतंत्र जांच आयोग से करवाकर पुलिस विभाग में महिला पुलिस कर्मियों के यौन शोषण को रोकने के लिए कठोर कदम उठाते। लेकिन मुख्यमंत्री ने इतने गंभीर मामलेे को भी सामान्य मामला मानकर हल्केे ढंग सेे जांच करवाने का निर्देष दिया, यह सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
विद्रोही ने कहा कि महिला पुलिस कर्मियों नेेे उदाहरण देकर कई अन्य अधिकारियों का हवाला देकरे जींद पुलिस अधीक्षक पर यौन शोषण के जो आरोप लगाये है, वे बहुत ही गंभीर है और साथ में पुलिस की साख पर बट्टा लगाने वाले आरोप भी है। जब महिला पुलिसकर्मी की उच्च अधिकारियों की लम्पटता का शिकार हो रही हो, तो फिर ऐसे लम्पट पुलिस अफसर आम महिलाओं की अस्मिता की रक्षा क्या खाक करेंगे? एक पुलिसकर्मी के वायरल पत्र में जो आरोप है, उसके अनुसार महिला पुलिस कर्मियों का प्रमोशन देने के नाम पर यौन शोषण होता है और जब अन्य अधिकारियों को यह बात बताई गई तो उन्होंने इस पर उचित ध्यान देने की बजाय आरोप लगाने वाली महिला पुलिसकर्मियों को न केवल हतोत्साहित किया अतिपु यहां तक कहा कि ऐसा एडजस्टमेंट करना पड़ता है। इसका स्पष्ट अर्थ है कि पुलिस विभाग में अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा भी महिला कर्मियों का यौन शोषण पुलिस अधिकारियों के आचरण की रूटीन की होने वाली घटना है।
विद्रोही ने कहा कि पुलिस विभाग का यह रवैया खुद पुष्ट करता है कि महिला पुलिस कर्मियों का प्रमोशन, पोस्टिंग के लिए यौन शोषण आम बात है। वहीं इस वायरल पत्र में यह भी खुलासा किया गया है कि जिन महिला पुलिस एसएचओ के अधिकारियों के साथ नाजाजय सम्बन्ध है, वे अमीर घरों के लडकों को फंसाने के लिए युवतियों का ऐसा गिरोह भी चलाते है, जो समझौते के नाम पर मोटा माल वसूलते है। जब पुलिस एसएचओ ही अमीर लडकों को फंसाने के लिए युवतियों के साथ मिलकर गिरोह चलाकर मोटा वसूलने के धंधे में लिप्त हो, तो सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि पुलिस महिलाओं की रक्षक है या भक्षक? विद्रोही ने कहा कि इन संगीन आरोपों की जांच हरियाणा पुलिस विभाग का कोई अधिकारी स्वतंत्र व निष्पक्षता से करवाने में सक्षम ही नही है। इसलिए महिला पुलिस कर्मियों के यौन शोषण आरोपों की जांच पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की किसी सीटिंग महिला जज की अध्यक्षता में एक विशेष एसआईटी से करवाई जाये ताकि आरोपी पुलिस अधिकारी व हरियाणा पुलिस की कार्यशैली पर लगाये आरोपों की सच्चाई बिना पक्षपात जनता के सामने आ सके।

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